नोएडा में हुए इस खौफनाक हत्याकांड ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. आइए जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से.
2008 में दिल्ली से सटे नोएडा के एक घर में हुई दोहरी हत्या ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था. मारे गए 14 साल की आरुषि तलवार और उनके 45 वर्षीय नौकर हेमराज थे
16 मई 2008 की सुबह आरुषि के माता-पिता को उनकी बेटी का शव उनके कमरे में मिला. बाद में घर के छत पर हेमराज का शव भी बरामद हुआ
पुलिस की शुरुआती जांच आरुषि के माता-पिता डॉ. दिनेश और श्रीमती तलवार पर ही केंद्रित हो गई. उनके व्यवहार और घटनास्थल के साक्ष्यों को संदिग्ध माना गया
इस जघन्य हत्याकांड ने मीडिया का ध्यान खींचा. लगातार मीडिया ट्रायल ने इस मामले को और ज्यादा पेचीदा बना दिया
इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण उन्हें रिहा कर दिया गया
सीबीआई को इस मामले की जांच सौंपी गई. सीबीआई ने भी दिनेश और श्रीमती तलवार को ही आरोपी बनाया
सीबीआई द्वारा पेश किए गए सबूतों को अदालत ने कमजोर माना. अभियोजन पक्ष हत्या का मकसद भी पेश नहीं कर सका
लंबे चले मुकदमे के बाद 2013 में अदालत ने दिनेश और श्रीमती तलवार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया
हालांकि आरुषि-हेमराज हत्याकांड के असली अपराधियों का आज तक पता नहीं चल पाया है. ये मामला आज भी एक रहस्य बना हुआ है
आरुषि तलवार हत्याकांड ने भारतीय न्याय व्यवस्था की कमियों को उजागर किया. ये हमें ये भी सोचने पर मजबूर करता है कि कहीं निर्दोष सजा तो नहीं भुगत रहे?
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